Monday, May 21, 2018

kavit

किसी और की

कहानी किसी की 
कविता किसी और की 

रचना किसी की 
गहन किसी और की 

लोरी किसी की 
स्वर किसी और की 

नींद किसी की
 आँखों में सपने 
किसी और के 

सुबह किसी की 
उसकी अंगड़ाई 
कसी और की 

रात किसी की 
उसकी चांदनी
 किसी और की 

फूल किसी का 
उसकी खुसबू 
किसी और की 

मेहँदी किसी की 
उसकी लालिमा 
किसी और की 

दुलहन किसी की 
उसका सुन्दर लाल जोड़ा 
किसी और का 

खो ना जाये ये सब कुछ 
कभी न कभी 
क्यूंकि ये पल भी 
हैं किसी और के || 



किसी और की -सुकृती राय 


kahani

  अनसुनी अनकही कहानी 



ये कहानी है एक लड़की की जो एक छोटे से परिवार से है ये लड़की पहाड़ो में पली बड़ी  थी इस लिए इसे सिर्फ वैसी ही वादियों और पेड़ और पौधे और फूलों के साथ रहना अच्छा लगता था जब भी वो उनके साथ रहती उसे इस दुनिया की कोई फिक्र नहीं थी ना कोई दर्द ना कोई शर्त की तुम्हें इससे से आगे जाना है तुम्हें सब से आगे बढ़ना  है और ना ज़िन्दगी से कोई शिकवा की मुझे ऐसा को बनाया | 

वैसे तो हम सब आज की दुनिया में सबसे आगे बढ़ने में और एक प्रतियोगी  के रूप में ही एक दूसरे को देखते है पर हम ये क्यों भूल जाते हैं की हमारी सबसे बड़ी प्रतियोगी हम खुद हैं हमें कोई तब तक नहीं हरा सकता जब तक की हम खुद हार ना मान लें | इस लड़की की भी कुछ इसी तरह की कहानी है जो ना किसी ने सुनी और ना कही | 

ये लड़की बड़ी ही साधारण सा जीवन जीती थी अपनी माँ के साथ  उसका इस पूरी दुनिया में कोई नहीं था सिवाय इसकी माँ के | उसकी माँ ने कभी उसे बहार की दुनिया से डरना नहीं सिखाया हमेशा डट के सामना करना सिखाया जो भी मुश्किल हो उसका खुद से हल निकालना  सिखाया  लेकिन एक सिख नहीं दे पायी उसकी माँ की इस भरी दुनिया में उसका कोई साथ नहीं देगा जो भी करना है अकेले करना है और यही सिख देने से पहले ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई देखते ही देखते वो महज़ सिर्फ १२ साल की लड़की अनाथ हो गई पिता का साया पहल ही हट गया था और अब माँ भी नहीं रही इस पूरी दुनिया में वो अकेली थी ना कोई आगे ना पीछे बस वो अकेली------------------------------------!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


 दोस्तों अगर आपको इसके आगे की कहानी देखनी है और जानना है की इस बे रहम ,नामुमकिन सी दुनिया में उस १२ साल की लड़की ने कैसे अपनी ज़िन्दगी बनायी और कैसे इस दुनिया में सर उठाके अपने माँ के सपनों को सच कर के इस दुनिया में अपना नाम बनाया और कैसे वो अकेली इस दुनिया से लड़ी ????????? 

तो आपको comment कर के मुझे बस एक message भेजना है और आगे की कहानी जल्दी ही आपको मिलेगी |


आपकी  दोस्त और इस कहानी की रचता |





Friday, May 18, 2018

garmi

ये मौसम है गर्मी का 

हो गया बेहाल 
जीवन की बगिया का 
गर्मी ने मचाया है कोहराम  पसीने का 
हाल  बेहाल हुआ ना जाने 
कोई भी किसी का 
अपनी ज़िन्दगी जियें कैसे ये मौसम है गर्मी का | 


कुम्हला गए हैं   फूल पौधे 
रूठी हुई है डाली -डाली 
हमने  पूछा हुआ है क्या तुझे 
क्यों रोये  क्यारी -क्यारी |

पत्ता - पत्ता  टूट रहा है 
अपने जड़  को छोड़ 
 कब आएंगे मौसम हरे -भरे बहार के 
इंतज़ार है कोरम कोर| 

सुखी हुई है धरती प्यारी 
सूखा है प्यारा आसमाँ 
कब आएंगे  मेघ ज़मीं पर 
बढ़ गया  है धरती का उतना ही तापमान | 

जब आएंगे मेघ ज़मीं पर 
तब होगी खुशियां हरी की 
रूठी हुई ज़मीं 
मान जाएगी | 

हमने जिसको देखा 
निहार निहार के वो भी एक दिन आएगी 
 मुस्कान बटोर के 
वो भी एक दिन आएगी 
शोरे मचा -मचा के || 

ये मौसम है  गर्मी का -सुकृती  राय 

Thursday, May 17, 2018

kali

कली 

सुन रे माली कहे कली 
मुझको क्यों सताता है 
सभी हैं तेरे भाई बंधू 
मुझको क्यों तड़पता है 
उनको क्यों नहीं भाता है | 

माली बोले क्यों कली 
मुझसे क्यों तू डरती  है 
पानी ,खाद आदि का सेवन रोज़ाना तू करती है | 

 लगा तुजे ऐसा क्यों कली 
 सभी हैं भाई बंधू मेरे 
तू ना जाने कौन है वो 
तुझे   किसी  की खबर न थोड़ी 
क्यों की है तू अति मत भोली | 

कली मुस्कुराई 
बोली माली भाई 
अबसे तू ना रहे अकेला 
मैं ही तेरी प्रिय 
और मैं ही तेरी सखी सहेला | 

बनजा  तू मेरा रखवाला 
कहे जा तू सभी से 
की तु ही है मेरा मतवाला | | 


कली -सुकृती  राय 


Wednesday, May 16, 2018

maa

माँ 

ज़िन्दगी कैसी होगी अगर इस दुनिया में माँ ना हो | कैसी होगी ज़िन्दगी अगर इस दुनिया में माँ का प्यार ना हो | कैसी होगी ज़िन्दगी अगर उसका दुलार ना हो | तो यही है ममता का सागर ठंढी हवा की चादर महेक्ति फूल की गागर यही तो है हम सब की अम्बर | 


माँ जननी है 
माँ वसुंधरा है 
माँ के बिना हर सूखा सुना है 

माँ जल है 
माँ गागर 
माँ उस विशाल पानी का सागर  है 

माँ रोली है 
माँ रक्षा है 
माँ अपने बच्चों के लिए दुनिया की भक्षक है 

माँ जीवन है 
माँ जीवनदान है 
माँ के बिना सुना पूरा संसार है 

माँ हम है 
माँ तुम है 
माँ का जीवन बस हम ही हम है 

माँ आग है 
माँ ा ज्वाला है 
माँ अपनो के लिए एक उजाला है 

माँ ही आंधी है 
माँ ही सर्द की एक ठंडी हवा का झोका है 

माँ चंडी है 
माँ काली है 
माँ अपनों के लिए लक्ष्मी रखवाली है 

हम है इस दुनिया में तो केवल इस लिए क्यूकि 
हमने अपनी खुशियां माँ में पाई है 
कोई और नहीं बस माँ ही दुहाई है 
बस माँ ही दुहाई है 

Tuesday, May 15, 2018

kavitayein

सु बह  कहती है ओ मतवाली 
जाग चुकी है तो जाग जा  
सूरज की किरणों को अपने अंदर तू समां जा 

चिड़िया चहक उठी पेड़ो पर 
हवाएं रुख बदलती है 
गलियों और चौबारे पर कोई दस्तक देकर जाती है 

फूल ,काली  सब कहते मुझको 
तू है कोनसी हूर पारी 
हम ने खुशबू दिए जहा को 
तू है कोनसी नूर पारी 

हम भी ना चुके कहने से 
हम तो है अपनी मर्ज़ी  की मलिका 
हमें कोई कहे ना हूर 
ना कहे कोई किसीका नूर 
जो करना है करके रहेंगे 
हम तो है अपनी माज़ी मलिका 

सुबह केहेती है खोल्दे आखें 
सूरज की रौशनी को अपने आखों पे तो पड़ने दे चहक चहक के पंछी बोले 
अपने दिल में तू हमको रख ले 
हमारी साड़ी खुशियां तू लेले 
अपने सारे  घम तू हमको देदे 

सुबह केहेती है जाग जा 
नया सवेरा आया है 
शुभ की चिंता छोड़ दे 
हमने ये नया जाल बिछ्याया है 
खुशियों की चाभी तेरी ओर बढ़ाया है 
तेरी ओरे बढ़ाया है | 

bhav

भाव  कम नहीं है पर पूरा भी नहीं  आधा अगर है तो पूरा  नहीं  हम है पुजारी भाव के  अंजना कहे की यही मोल दाव  के  सुहानी सी ज़िन्दग...