Monday, May 21, 2018

kavit

किसी और की

कहानी किसी की 
कविता किसी और की 

रचना किसी की 
गहन किसी और की 

लोरी किसी की 
स्वर किसी और की 

नींद किसी की
 आँखों में सपने 
किसी और के 

सुबह किसी की 
उसकी अंगड़ाई 
कसी और की 

रात किसी की 
उसकी चांदनी
 किसी और की 

फूल किसी का 
उसकी खुसबू 
किसी और की 

मेहँदी किसी की 
उसकी लालिमा 
किसी और की 

दुलहन किसी की 
उसका सुन्दर लाल जोड़ा 
किसी और का 

खो ना जाये ये सब कुछ 
कभी न कभी 
क्यूंकि ये पल भी 
हैं किसी और के || 



किसी और की -सुकृती राय 


1 comment:

bhav

भाव  कम नहीं है पर पूरा भी नहीं  आधा अगर है तो पूरा  नहीं  हम है पुजारी भाव के  अंजना कहे की यही मोल दाव  के  सुहानी सी ज़िन्दग...