Friday, May 18, 2018

garmi

ये मौसम है गर्मी का 

हो गया बेहाल 
जीवन की बगिया का 
गर्मी ने मचाया है कोहराम  पसीने का 
हाल  बेहाल हुआ ना जाने 
कोई भी किसी का 
अपनी ज़िन्दगी जियें कैसे ये मौसम है गर्मी का | 


कुम्हला गए हैं   फूल पौधे 
रूठी हुई है डाली -डाली 
हमने  पूछा हुआ है क्या तुझे 
क्यों रोये  क्यारी -क्यारी |

पत्ता - पत्ता  टूट रहा है 
अपने जड़  को छोड़ 
 कब आएंगे मौसम हरे -भरे बहार के 
इंतज़ार है कोरम कोर| 

सुखी हुई है धरती प्यारी 
सूखा है प्यारा आसमाँ 
कब आएंगे  मेघ ज़मीं पर 
बढ़ गया  है धरती का उतना ही तापमान | 

जब आएंगे मेघ ज़मीं पर 
तब होगी खुशियां हरी की 
रूठी हुई ज़मीं 
मान जाएगी | 

हमने जिसको देखा 
निहार निहार के वो भी एक दिन आएगी 
 मुस्कान बटोर के 
वो भी एक दिन आएगी 
शोरे मचा -मचा के || 

ये मौसम है  गर्मी का -सुकृती  राय 

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