ये मौसम है गर्मी का
जीवन की बगिया का
गर्मी ने मचाया है कोहराम पसीने का
हाल बेहाल हुआ ना जाने
कोई भी किसी का
अपनी ज़िन्दगी जियें कैसे ये मौसम है गर्मी का |
कुम्हला गए हैं फूल पौधे
रूठी हुई है डाली -डाली
हमने पूछा हुआ है क्या तुझे
क्यों रोये क्यारी -क्यारी |
पत्ता - पत्ता टूट रहा है
अपने जड़ को छोड़
कब आएंगे मौसम हरे -भरे बहार के
सुखी हुई है धरती प्यारी
सूखा है प्यारा आसमाँ
कब आएंगे मेघ ज़मीं पर
बढ़ गया है धरती का उतना ही तापमान |
जब आएंगे मेघ ज़मीं पर
तब होगी खुशियां हरी की
रूठी हुई ज़मीं
मान जाएगी |
हमने जिसको देखा
निहार निहार के वो भी एक दिन आएगी
मुस्कान बटोर के
वो भी एक दिन आएगी
शोरे मचा -मचा के ||
ये मौसम है गर्मी का -सुकृती राय
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