Thursday, June 28, 2018

aya savan jhum ke

आया सावन झूम के 

हो गई शुरुआत मगन हर गीत की 
बदरिया गरज कर बोले बोल मन प्रीत की 

टिप -टिप करें बूंदें बरसें हर एक बारिश की 
बदन छू कर कहे ये है रीत सावन की 

नाचे मोरनी मन मतवाली 
गाये हर गीत सुरिलो वाली 

चहक-चहक कर पंछी 
आजा अब होगी रास हर जनम की 

श्याम सुन्दर 
मधुर सरगम 
प्रेम का हर गीत मधुबन 
लेकर खुशियां आया है मौसम 

लोग नाचे झूम के 
लोग गायें घूम के 
रास रचैया मोहन मुरलिया 
कहे की ,
आया सावन झूम के || 

jo jaisa hai vo vaisa to nahi

जो जैसा है वो वैसा तो नहीं 

ख़ामोशी का आलम था 
मदहोशी का सावन था | 
झूम कर आया है वो 
नाच कर गया है वो | 

अपनों से तारीफें सुनी  
गैरों की तानें सुनी | 
अपने ख्वाबों की राहें बुनी 
लेकिन बून न सकीय एक कली | 

राहों की ज़रूरत तो नहीं 
काटों की इबादत तो नहीं | 
जो था हमारे पास 
वो हमारा तो नहीं | 

रात काली थी लेकिन 
लेकिन खोई हुई तो नहीं | 
आसमाँ सितारों से भरा था 
लेकिन वो सितारों सा तो नहीं | 

दुनियां भरी पड़ी गैरों से 
लेकिन दरिंदों से तो नहीं | 
लोगों की राहें मुड़ी हुई सी हैं 
लेकिन वो मुसाफिर तो नहीं | 

आये हैं जो दर पर मेरे 
वो मेहरबाँ हैं | 
कोई काफिर तो नहीं 
 जो है हमारे पास 
वो हमारे तो नहीं | 
वो हमारे तो नहीं || 

Wednesday, June 27, 2018

zindagi ek rishta

ज़िन्दगी एक रिश्ता(शुरुआत एक नयी कहानी की)

इस दुनिया में सभी ने कभी न कभी राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी तो सुनी होगी ही | पर असल ज़िन्दगी में  शायद ऐसा नहीं हो सकता ऐसी प्रेम कहानी नहीं हो सकती | पर ऐसी एक कहानी है | 
माया और कबीर की कहानी | ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है राधा-कृष्ण की तरह | इस कहानी की शुरुआत कहें या अंत पर है यही इसे प्रेम कहानी का रूप दें या एक औरत और एक मेहबूबा की दास्ताँ नहीं जानते पर शुरुआत तो हो गई ऐसी एक कहानी की | 
माया एक गरीब परिवार से थी अपने बाबा के साथ रहती थी | उसकी ज़िन्दगी में सिवाय उसके बाबा के कोई नहीं था बस उसकी बुरी किस्मत जो उसके साथ सदा रहती थी उसका बेकार ,जला हुआ चेहरा जो उसकी हाथ की रेखाओं की लकीरों को कभी बदलने ही नहीं देती | बस एक ही तो खूबसूरती थी उसमे उसका सुरीला गला | उसकी आवाज़ में वो जादू था जो उड़ते हुए पंछी को भी ठहरना सीखा दे ,जो मुरझाये फूल को फिर से खिलना सीखा दे ,जो एक रट हुए को हसना सीखा दे | माया एक दिन यूँहीं गुनगुना रही थी एक मीठा सा प्यारा सा गीत और वही पास से एक गाड़ी गुज़र रही थी अचानक वो गाड़ी रुक गई और उसमे से निकला एक साफ़ ,सुघर ,नौजवान कबीर  गाड़ी से उतरकर उसने बस एक ही आवाज़ सुनी थी आज तक जो उसके कानो में एक मधु जैसे काम कर रही थी उस आवाज को सुनने के बाद कबीर मनो जैसे स्तब्ध रह गया | बस एक चाह रही थी उसकी की कैसे भी करके उसका नाम और चेहरा दिख जाये | माया एक मदिर गयी उस दिन और वही आया कबीर उसने माया से उसका नाम पूछा और कहा की अपना चेहरा दिखाए पर वो हकीकत से बिलकुल अनजान था की माया हमेशा अपना चेहरा ढक के रखती थी किसीको भी नहीं दिखाथी उसने कबीर से भी यही कहा की बाबूजी मैं अपना चेहरा नहीं दिखा सकती और कृपा करके मुझसे दूर रहिये | पर कबीर भी एक ज़िद्दी उसने भी ये सोच लिया था की वो अगर किसी से प्यार करेगा तो माया और शादी भी उसी से करेगा | लाख कोशिशों के बावजूद माया अपने आप को रोक न पाई कबीर की होने से ,उससे प्यार करने से |  लेकिन अब तक उसने उसका चेहरा नहीं देखा था शादी हुई और शादी की पहली रात को ही कबीर को माया का सच पता चल गया की उसका चेहरा वो नहीं जो कबीर ने सोचा था उसने कहा की माया "तुमने अपनी माया दिखा दी तुम मेरी माया नहीं हो सकती मेरी माया ऐसी नहीं हो सकती " और वो उसे रोटा बिलकता छोड़ गया और माया की तलाशा में निकल गया |
माया आई कबीर से मिलने पर उसने वही कहा जो उसे कहना था उसने कहा की बाबूजी आपकी अब शादी हो चुकी है और अब वो आपकी पत्नी है आपको उसके पास होना चाहिए मेरे पास नहीं और फिर कबीर ने कहा की मैं उसे अपनी पत्नी नहीं मानता मैं तुमसे प्यार करता हु और बस तुम्ही हो मेरी ज़िन्दगी | माया उसे समझाती है की ये ठीक नहीं मैं आपकी "मेहबूबा हूँ ,और वो आपकी पत्नी मैं उसकी जगह कभी नहीं ले सकती | एक प्रेम कहानी की शुरुआत हुई पर इस प्रेम कहानी में एक पत्नी का मान एक मेहबूबा से बहुत ज़ादा होता है | वो ही एक औरत है और वही एक सच्ची जीवन साथी मेरा सिर्फ यही तक साथ था और अब माया के पैन की कोई ज़रूरत नहीं | बस ये कह के माया चली गई हमेशा-हमेशा के लिए | कबीर की दुनिया वीरान करके | 
आज भी माया कबीर से उतना ही प्यार करती है जितना पहले करती थी पर वो उस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सकी की उसका पति उसका प्रेमी उससे ही अपने आप को  छुड़ा रहा है | इस कहानी में ना तो कबीर को उसकी मेहबूबा मिली और ना ही पत्नी | जब तक कबीर को एह्सास होता उसकी दुनिया खली हो चुकी थी| आज भी कबीर माया का इंतज़ार कर रहा है और आज तक उसने किसी और को अपनी ज़िन्दगी में शामिल नहीं किया | ये थी माया और कबीर की कहानी जो पूरी हो कर भी अधूरी रह गई | बस एक गलती के कारण जो हकीकत है उसे ना स्वीकारने की जो जैसा है उसे वैसे ही ना अपनाने की |

ज़िन्दगी बहुत कीमती होती है और मिलती सिर्फ एक बार है तो उसे पूरी तरह जीना चाहिए बजाये इसके की क्या सबसे ज़ादा सुन्दर है और क्या नहीं अगर किसी की आवाज़ अच्छी है तो हो सकता है की उसकी सूरत खुबसुरत न हो इसका मतलब ये नहीं की वो प्यार करने के लिए नहीं ,वो सम्मान के लिए नहीं |
मन बैरी होये भले 
सुख न छीने कोये 
सुनदर-सुघर न होये बिछोरे 
पर होये प्रेम अनोय|  


aurat

औरत (तेरा यही स्वरूप)

कैसा लगता है ना जब कोई एक औरत को अलग नज़रिये से देखता है | पता नहीं कैसे उनका मन गवारा करता है इसके लिए ,कुछ अलग ही सोच बना लेते हैं ऐसे लोग जो औरत को सिर्फ एक चीज़ समझते हैं ,लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता की औरत का वही एक सवरूप नहीं है जो वो देखते हैं जो की सिर्फ एक मर्द के लिए होती है उसका वजूद ,उसकी पहचान इनसब से कही ज्यादा ऊपर होता है ,पर शायद उन लोगों को समझने में ही भूल रही है जो एक औरत को कभी समझ ही नहीं पाए | 
ऐसी ही एक कहानी है दो औरतों की जिनकी ज़िन्दगी इसी तरह दो राहों की तरह है | 

ये कहानी है उस औरत की जिसने कभी एक अच्छा परिवार और सुघर पति की कामना की थी जिसने ये कभी नहीं सोचा था की जो वो चाह रही है वैसा शायद नहीं हो  उसके साथ क्यूंकि वो एक भोली-भाली शांत स्वभाव की एकदम शुशील लड़की थी कोई नहीं कह सकता था की उसका चरित्र लांछनवाला है कोई भी अगर उसके बारे कुछ अलग सोचता भी था तो यकीं करना मुमकिन नहीं होता था | बस फिर क्या वही हुआ जो हर एक १८ साल की लड़की के साथ होता है उसकी शादी करवा दी गई एक ऐसे इंसान से जो बाहर से दीखता तो था एकदम शरीफ ,एक नेक इंसान पर था अंदर से शैतान पर इसकी खबर उसे न थी वो तो उससे प्यार करने लगी थी उसे अपना सब कुछ मानने लगी थी दिन बीतते गए और ऐसे करते -करते ९ साल बीत गए अब तक तो उसे पता चल गया की उसने जिस वर की कामना की थी वो वैसा नहीं था बल्कि उसके विपरीत था | उसने उसके दिए हर ज़ुल्म सहे पर फिर भी कुछ नहीं कहती थी कभी उसके खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाई कभी उसके ऊपर ऊँगली नहीं उठाई बस अपना कर्त्तव्य समझ के निभाते गयी | एक दिन ऐसा आया उसके जीवन में की दिल देहल जाये अगर सुनाने लगे तो | वो थी एक रात जब उसके पति ने उसका सौदा कर दिया एक ऐसे ठेकेदार को जो उसका बिज़नेस में बहुत ज्यादा पैसा लगा रहा था और उसके लालच में आकर पैसा कमाने के चक्कर में उसने अपनी ही पत्नी का सौदा कर दिया | इतना ही नहीं उसके साथ इतना बुरा किया की उसके गर्भ में पलती एक नन्ही जान को भी नहीं छोड़ा | जब उसे पता चला की उसकी पत्नी माँ बनाने वाली है तो उसने उसे प्रताड़ित किया उसे वो ज़ख्म दिए जिससे वो जीवन भर खुद पर या किसी और पर विश्वास नहीं कर सकती थी, पर कहते हैं ना की ऊपरवाला उतना ही बुरा किसी के साथ करता है जो जितना सहन कर सकता है | ये थी उसकी कहानी जो डर ,दशहत ,और एक हिंसा की शिकार थी एक कमज़ोर औरत की | 

पर हर डर ,हर हिंसा का हिसाब सब को चुकाना पड़ता है उस आदमी को भी चुकाना पड़ा | जिस औरत के साथ उसने ये सब किया था वही औरत एक चंडी का रूप बदल कर आयी और उसने उस आदमी का वही हर्ष किया जो उसने उसका और उसके नन्हे से बच्चे के साथ किया था | उसने उसे ख़त्म कर दिया और वो जेल चली गई जेल जाने के बाद ६ महीने बाद उसने एक नन्हे से बच्चे को जन्म दिया ये बच्चा उसके निर्दयी पति की निशानी ज़रूर थी पर उसने कभी उसका साया भी उसपर पड़ने नहीं दिया | उसने उसे जेल में ही पला और देखते-देखते २५ साल गुज़र गए और उसके अच्छे चाल चलन के नाते उसकी रिहाई कर दी गई जब वो वापिस आयी तो उसने देखा की उसकी बिटिया अब एक बड़ी अफसर बन गयी है | पर वही हुआ जिसका उसे सब से ज़ादा अफ़सोस था उसकी बेटी को सब नीची निगाह से देखने लगे और उसे एक खुनी की बेटी कहने लगे | हालांकि वो अपने पिता के बारे में जानती थी इसीलिए उन लोगों की बातों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था और उसने ऐसे कई औरतों के लिए इन्साफ किया है और खुद के लिए लड़ने की एक संस्था भी खोली है जहा मजबूर औरत अपनी कहानी के पन्नो को बदल सके और उसपर एक नयी सिहाई की कलम चला सकें | 

बस यही थी उस औरत की कहानी | पर ये सिर्फ उस औरत की कहानी नहीं है बल्कि ये उन सभी की कहानी है जो अपने आपको कमज़ोर समझने की भूल  बैठती हैं और ऐसे हिंसा की शिकार होती हैं | 
तो रुकना नहीं है और कमज़ोर तो बिलकुल भी नहीं बनाना है बस खड़े होना है और अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी | 

औरत तेरी यही कहानी 
किसी को नहीं है सुनानी 
अब है बारी अपनी 
कर चढ़ाई खुदकी 
और लड़ले लड़ाई खुदकी 

Tuesday, June 26, 2018

nagma

नगमा 

कहते हैं की अगर कोई हमसे मिलता है या हम किसी से मिलते हैं तो वो इत्तेफ़ाक़ नहीं होता है | उसके पीछे कोई न कोई मकसद ज़रूर होता है यूहीं नहीं होता है सब | कुछ ना कुछ वजह ज़रूर होती है | 
ऐसी ही एक  कहानी है उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर  की एक लड़की की जो थी तो एक छोटे से घराने से पर उसके सपने उनींदा थे बहुत गहरे और बहुत पाक | वो एक छोटे से घराने से होने के बावजूद उसके सपने बड़े होते थे और उनको पूरा करने के लिए जो जूनून चाहिए वो होते थे | कहते हैं ना की हर दिन एक सा नहीं होता बस वही हुआ एक दुर्घटना में उसके माँ- पिता इंतक़ाल हो गया वो बिलकुल अकेली हो गई थी इसके बाद उसके पास तो ना कोई था और ना कोई और नाही उसके साथ | वक़्त ने बड़े सितम किये उस बिचारि पर लेकिन उसने खुद पर कभी तरस नहीं खाया उपरवाले की मर्ज़ी समझ के उसने सब क़ुबूल किया | इसके बाद वो अपने मामूजान के साथ रहने लगी उसने अच्छी खसी पढ़ाई की थी तो उसे नौकरी भी मिल गई और उसके मामूजान भी नौकरी करते थे दोनों ही कमाते थे और घर चलाते थे | बहुत सारी मुश्किलों का सामना करने के बाद उसने अपनी काबिलियत से अपना खुद का एक मकान लिया लखनऊ में और वो और उसके मामूजान रहने लगे ऐसे करते -करते ५ साल गुज़र गए | उसने कभी अपने बारे में नहीं सोचा बस अपने परिवार का नाम ऊँचा रखने की कोशिश की | पर कोई था जिसे उसकी फ़िक्र थी उसके मामूजान उसके माँ -और पिता के बाद बस वही रह गए थे उसकी ज़िन्दगी में और वो उनके लिए ही जी रही थी | उस वक़्त मामूजान ने उससे कहा की" बिटिया "मामूजान उसे बिटिया कहते थे अब बस भी करो कितना हमारे बारे में सोचोगी अब अपने  बारे में सोचो अपनी शादी के बारे में सोचो बहुत कर लिया तुमने हमारे लिए अब अपने लिए करो | पर शायद उपरवाले को ये नहीं मंज़ूर था वो शायद उसके लिए कुछ और ही बून रहे थे उसके लिए उसके सपने | 

पर सपने कब बदल जाते हैं हमें कहा पता होता है वो तो बस हो जाते हैं | खुदा ने सच में वो किया जो उसने नहीं सोचा था | एक शक्श की इस कहानी में दाखिला करवाया वो थे तो लखनऊ के नवाब पर दिल उनका भी वही था जो उसका था नवाबजी ने उसे पहेली बार सड़क पर जाते हुए देखा था अचानक और बार बार लगातार वे मिलते  ही रहते थे कभी सड़क पर खड़े हुए बस का इंतज़ार करते हुए तो कभी बाज़ार जाते हुए लेकिन इस मुलाकात में उसने कभी नवाबजी को एक नज़र नहीं देखा था और नवाबजी बस उसकी ही सूरत देखना और महसूस करने की चाह रखते थे | एक दिन नवाबजी उसका पीछा करते करते उसके घर तक पहुंचे पर वही हुआ जो हमेशा होता था उसने इस बार भी नवाबजी को एक नज़र देखा नहीं बस यूँहीं सर को झुकाये चली गई वो थी उनकी पहेली रूबरू मुलाकात जो सिर्फ एक ख़ामोशी का नाम देती थी | पर इस ख़ामोशी को भी नवाबजी ने खुदा का ही एक इशारा समझा | और वे चले गए | ज़िन्दगी ने क्या हसीं सितम किया था की वे एक दूसरे की तरह ही सोचते थे और मानते भी थे बस किस्मत ने उन दोनों को ऐसे घराने में लाया जहा से उनका मिलना शायद ही मुमकिन होता | 

वो थी एक रात जब वो घर जा रही थी काम करके| कुदरत ने कुछ अलग ही खुमार कर दिया था उस रात बहुत ज़ोर की बरसात हो रही थी बिजली कड़क रही थी और तेज़ हवाएं चल  रही थी | और वो रात उनके लिए थी बहुत ही ख़ास उस रात वो बहुत ही भीग चुकी थी नवाबजी अपने रस्ते अपनी गाडी में उसी रस्ते जा रहे थे तभी उन्होनें देखा एक सेहमी-सेहमी सी भीगी हुई लड़की रस्ते पर कड़ी थी और किसी साधन का इंतज़ार इंतज़ार कर रही थी नवाबजी ने फ़ौरन गाड़ी घूमाया और उस  तरफ गए गाड़ी से उतरकर उन्होनें पहेली बार उसका चेहरा देखा मासूम सी एक दम कोहिनूर का हिरा नवाबजी बस देखते ही रह गए और उस रात उसने पहेली बार अपनी आखें उठाई और नवाबजी को देखा नवाबजी ने ऐसा कुदरत का करिश्मा पहले कभी नहीं देखा था मस्त निगाहें ,संगेमरमर सा बदन और घनी ज़ुल्फें बस वो एक वक़्त उनके दरमियाँ ठहर सा गया था वो एक दूसरे को बस देखे जा रह थे बिना कुछ बोले बिना कुछ कहे तब तक नवाबजी उसका  नाम भी नहीं जानते थे फिर वक़्त का हसीं सितम कहें या कुदरत का ही कोई इशारा नवाबजी ने उससे मदहोश आवाज़ में पूछा "आपका नाम क्या है मोहतरमा "
तभी एक हलकी सी मधुर भरी आवाज़ से उसने कहा "नगमा "बस वहीँ वक़्त की गति जैसे ठहर सी गयी नगमा उनसे बहुत मोहब्बत करती थी यूँ तो उसने कभी उन्हें देखा नहीं था पर उनकी तस्वीर एक अखबार में देखि थी तभी से वो नवाबजी से बेइन्तेहाँ मोहब्बत करने लगी और वही बात थी नवाबजी में उन्होनें नगमा को देखा तो था पर वैसे नहीं  जैसे की उस रात देखा था | शायद खुदा ने आज तक इसीलिए  नगमा को इस तलाश में कभी जाने ही नहीं दिया क्यूंकि उसे एक शेह्ज़ादा मिलने वाला था और वो मिल गया | एक नवाब की शहज़ादी बन गई नगमा और देखते ही देखते उनकी मोहब्बत ने एक फ़साना और लिख दिया नगमा उस वक़्त की एक मशहूर लेखिका बन गई और उसने कई किताबें लिखी जो सबसे ऊंचाई पर थी वो थी उसकी की एक कहानी "नगमा "(कहानी कहो या पहेली )| 

बस  यही थी नगमा की तासीर ,उसकी हक़ीकत ,उसके सपने | 
नगमा कोई हिरा ना हो 
तो कोई उसे खरीदेगा नहीं 
हिरा अगर पत्थर ना हो 
तो कोई उसे तराशेगा नहीं | 

बन के किसी का हिरा नहीं रहना मुझे 
रहना है बस वही जो हूँ मैं 
नगमा किसी और का नहीं 
खुदका ही नगमा बन के रहना है मुझे | 

Friday, June 22, 2018

love

प्यार 

प्यार क्या है ????क्या पता जवाब तो मिलेगा हर बार हर किसी से प्यार की परिभाषा असल में कोई नहीं जानता क्या है ये प्यार किसे कहते हैं प्यार ,प्यार असल में होता भी है या नहीं इसका जवाब हर  कोई अपने अपने सहूलियत के हिसाब से देता है कोई कहता है प्यार एक दूसरे के लिए होता है ,कोई कहता है प्यार बस एक ऊपरी ऊपरी दिखावा है ,तो कोई कहता है की प्यार क्या है जब कोई एक इंसान के लिए कुछ अलग सा महसूस करने लगता है उसे प्यार केहेते हैं | पर क्या ये सही है क्या इन सब को प्यार कहते हैं | पर मेरे लिए प्यार इन सब से ऊपर है मेरे लिए प्यार वो नहीं जो लोगों को दिखा के किया जाए,प्यार वो भी नहीं जो एक इंसान से हो ,प्यार का तो सही मतलब या यूँ कहूं की प्यार का कोई मतलब ही नहीं है अगर कोई प्यार करता है तो उसे ये ज़रूर मालूम होता है की प्यार कुछ न कुछ बदले में देगा ही देगा ,पर ये कहा लिखा है की प्यार बदले प्यार ही मिलता है और अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो वो भी आपसे प्यार करे ,प्यार में कोई शर्त नहीं होती और नाही प्यार सोच समझ के किया जाता है | प्यार तो बस हो जाता है | कब ,कहाँ ,कैसे और किस्से कोई नहीं जानता और नाही  पायेगा | 

मेरे पापा कहते हैं प्यार वो नहीं जो  दुनिया में हम देखते हैं की एक लड़का और एक लड़की हाथों में हाथ डाले घूम रहे हैं एक दूसरे को सिर्फ देख लिया तो उसे प्यार समझने लगते हैं प्यार की परिभाषा इन सब से ऊपर है | पापा कहते  हैं की प्यार एक दूसरे लिए कुर्बान होना है ,प्यार एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुज़रना है ,प्यार सिर्फ एक बंधन नहीं है बल्कि प्यार में कोई बंधन ही नहीं होता ,प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच में नहीं होता है प्यार वो है जो एक माँ अपने नन्हें शिशु से करती है जब से वह उसकी गर्भ में आता है ,प्यार माँ बेटे के बीच होता ,प्यार पिता और बेटी के बीच होता है ,प्यार भाई बेहेन का होता है ,प्यार पति पत्नी के बीच होता है ,और इनसब से ऊँचा जो होता है वो है ईश्वर हमारा प्यार | 

हम जब पीरा करते हैं या जब हमें प्यार होता है तब किसी के लिए भी कोई दूर भावना नहीं होती है 
 जब हम प्यार में होते हैं तब हमें ऐसा लगता है की सब कुछ अच्छा है सब कुछ अच्छा होगा 
लेकिन ये गलत है ना की अगर हमें किसी से प्यार करें तो सब अच्छा ही हो बुरा भी तो हो सकता है
लेकिन  हां अगर प्यार है सच्चा तो हर मुश्किल  हर इम्तिहान से हम गुज़रने को तैयार होते हैं हमें हर मुश्किल का हल मिल जाता है | इसमें सब से ज़रूरी बात ये आती है की क्या हर कोई प्यार कर सकता है तो इसका सीधा सा जवाब है की हां हर कोई प्यार कर सकता है बशर्ते की वो खुद से बहुत प्यार करता हो अगर कोई अपने आप से प्यार कर सकता है तो वो किसी को भी प्यार कर सकता है उसे प्यार की खोज में भटकना नहीं पड़ता है क्यूँ की वो खुद प्यार से भरा रहता  है और किसी को  भी प्यार भर पुर दे सकता है ऐसे इंसान जो खुद से प्यार करते हैं वो प्यार बाटने के भूखे होते हैं प्यार पाने के नहीं 
सच्चा प्यार हर किसी को एक न एक बार ज़िन्दगी में होता है | 

पर इसका मतलब ये नहीं की वो हमेशा हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा प्यार का दूसरा अर्थ है त्याग इतिहास गवाह है जिन्हों ने भी प्यार   वो कभी  एक बंधन में नहीं बंध सके बल्कि वे अमर हो गए क्यूंकि उनका प्यार पूरी शिद्दत से था सच्चा प्यार था उनका अगर प्यार है तो उसे कहना चाहिए ,ना की उसके साथ रहने के लिए कहना चाहिए | 
प्यार का कोई ओर  नहीं और उसका कोई तोड़ नहीं | 

फूलों की तरह मेहकना सीखा 
भवरे की तरह मंडराना सीखा 
जुगनू की तरह चमकना सीखा 
तारों की तरह  टिमटिमाना सीखा 
सीखा बहुत कुछ हमनें 
पर सिख न पाए एक चीज़ हर कोई डरता करने से 
वो है प्यार 
वो है प्यार | 

savan ka mausam

सावन का मौसम 

कैसा लगता है ये सावन का मौसम 
बादल गरज गरज कर बोले 
तू है मेरी और तेरे हैं हम 

मैं ना जानू कौन है बिजली 
चमक चमक कर बोले हमसे 
घर से तू बाहर क्यूँ निकली 
रह जाना ना तू अकेली 

उपवन बाग़ बगीचे पूछे 
सावन का मौसम क्यों ना आता बार बार 
डाली डाली क्यारी क्यारी हमसे पूछे 
ये सावन का मौसम क्यों नहीं आता बार बार 

हरी भरी है दुनियां सारी 
वर्षा की बून्द को पी कर 
न्यारी न्यारी लग रही है 
ओस की तरह चमक कर 

ये सावन का मौसम लग रहा है 
मधुरबन 
आया है ये सालों में एक बार 
मीठे सुर बन 

नाच रहे हैं मोर मयूर 
गायें मधुर संगीत सारे 
बोले दादुर बोले मोर 
सारे गायेें एक सुर 

रास लीला कृष्ण रचाएं 
गोपियों संग करते नृत्य सारे 
रास रचयिआ मोहन मोरलिआ 
कहते हैं हमसे झूम के सारे 

देख आया है मौसम प्यार का 
ले ले मज़ा अब इस बरसात का 





Thursday, June 21, 2018

tanhai

zindagi ek tanhai ka daur


zindagi mein ek tanhai ka alam tha
jo hona tha hua vahi

main bekhabar chalti gayi uss berusvai ke raah per 
dhundha bahaut apne aks ko

mila nahi koi iss tanhai ke raah per 
jo mila vo bhi chala gaya 

ye zindagi bhi kya zindagi hai 
ye hai ek tanhai ka daur

apne sune sapne ko sanjo ke rakhna sikha tha maine 
adhure rahne ki koi vajah na thi

apne khoye khwab ko paane ki chaah mein humne gavayein 
kai pal
pal pal bit raha hai ye pal 
kaun jaane kab jayega iss tanhai ka akelapann
bin kahe jo keh gaya vo bhi tha ek pal tanhai ka
kehene ko jo na keh saka vo bhi tha ek pal tanhai ka

ruhani ho gayi hai madhosh nazrein 
beparavah ho gayi hai dhadkanein

tanhai ne zindagi ko aise jakda 
phir chudaya haath usse 
to chudaye bhi na chhut paye

bas zindagi ki tanhai yuhi chali jaye
zindagi ki ruhaniyat fir laut aaye.


Thursday, June 14, 2018

ye basant

ये बसंत 

ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 
कभी बदले नसीबा सभी के 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 

ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 
जब अँधेरा छाये जीवन में 
तभी सूरज की रौशनी बिखेरे उजाला कर के जाता है 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 
सभी को खुश कर जाता है 

नयी हो या पुरानी हर चीज़ हमेशा मन में नया सा भाता है 
रोज़ रोज़ तकिय पे एक चिट्ठी मिल जाता है 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 
हर रो एक नया सपना आखों के तले दे जाता है 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 

जब गर्मी देती है तिलमिलाहट सी नमी 
तब एक फुहार सा नशा चढ़ जाता है 
ये क्या होता है जब नन्ही -नन्ही चिड़िया रोज़ मुझे सुनाती है 
जब एक नया राग बनाती है 
ये सब कुछ लगता है अपना अपना सा 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है 
हर एक को खुशियां दे जाता है 
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है | 

banjar

बंजर ज़मीं 

ज़िन्दगी क्या है कैसी है कभी सोचने बैठती हूँ तो समझ आता है की ज़िन्दगी वो नहीं जो सभी को लगता है की वही है असल में ज़िन्दगी की परिभाषा ही अलग है | 
ज़िन्दगी मेरे लिए एक बंजर ज़मीं तरह है ये एक ऐसी ज़मीं है जहा कुछ भी नहीं होता है ना ओस से भरी हरी-भरी बूंदों से नहाई घास ना कोई फल ना कोई फूल ना कोई इंसान और ना ही कोई जानवर | 
जैसे ये बंजर ज़मीं है वैसी ही हमारी ज़िन्दगी होती है | जिस तरह बंजर ज़मीं पर हरियाली ना होने पर  यानि पानी जो जीवन है उसके ना होने पर वह बंजर हो जाती है उसी तरह हमारा जीवन होता है हमारी ज़िन्दगी होती है जिस तरह वहां पानी ना होने पर वहां कुछ नहीं पनहपता वैसे ही ज़िन्दगी को भी अगर उसका पानी उसका जीवन ना मिले तो ज़िन्दगी में भी कुछ नहीं पन्हपेगा बस  वीरानियाँ ही वीरानियाँ होंगी जो एक खतरनाक साये की तरह होती हैं जो इंसान को अंदर ही अंदर खा जाती हैं और पता भी नहीं चलता | 
मेरे लिए भी कुछ इसी तरह की है ज़िन्दगी एक बंजर ज़मीं पर खुशियों की बौछार बारिश की तरह हुई | एक फूल जो मुरझा जाते हैं उनका सही ढंग ध्यान ना रखते हुए तो ज़िन्दगी जिसे पता नहीं कितने संघर्षों से जूझते हुए कितने रोड़ों को पार करते हुए गुज़ारना पड़ता है उसे प्यार की पुचकार और स्नेह का छाव क्यों नहीं देते है हम | 
एक मुश्किल जैसे ही आती है हम फ़ौरन अपने घुटने टेक देते हैं और उसके आगे हार मानने लगते हैं लेकिन हम कभी अपने आप को रोक कर थोड़ी देर सोचते नहीं हैं की ये जो कुछ भी हो रहा है वो मेरे अच्छे के लिए ही हो रहा है क्या पता कुछ अच्छा ही हो जाये लेकिन नहीं हम केवल उसकी बुराई करते रहते हैं या उसे कोसते रहते हैं | 
ज़िन्दगी कोसने के लिए नहीं होती है ज़िन्दगी सही ढंग से जीने के लिए होती है वो हमारे लिए मुश्किलें इस लिए लाती है ताकि हम और मज़बूत बन सके और खुद की ज़िन्दगी को सवारें ठीक उसी तरह जैसे एक बंजर ज़मीं को बरसात की पहेली फुहार हरी-भरी धरती बना देती है और ज़ोर-शोर से उसका स्वागत किया जाता है इस पूरी सृष्टि का | 
वो भी बड़े हर्षा और उल्हास के साथ | 
तो ज़िन्दगी जियो मन भर के पर यदि कभी ज़िन्दगी में सूखा आये तो एक बार सोचना की उस बंजर ज़मीं के साथ क्या  हुआ था ????

ज़मीं बंजर होये भले 
मन बंजर होये ना पाए 
अपनी -अपनी खुशियां ढूंढों 
कुछ पंछी उड़ जाये 
हरी -भरी बगिया में बोले बारिश की हर बून्द 
कहे बदरिया जी ले री बावरी 
ये सावन का मौसम आगे कहाँ से होये | 

Thursday, June 7, 2018

role of a life

Role of a life in individuals

life plays a very important role in every individuals core.whether it is the fast train or slow bullock cart no matter what the society says about individuals .its being a hundreds of years to learn what life is and yet there is no answer of it that what is life and where it get started where is the peak point of it and guess what there is no answer of how the life begins.

its really of curiosity that we should learn that what is life and what is the main goal of it  and much more to know.
but here something is we should live without any fear without any limits and without any boundaries  may be that's the life according to the status today.
life is the sweet of the cake the melting chocolate of the dairy milk the fragrance  of the blossoming flower .life is just  like the first shower of the rain the monsoon season .life means nothing and life means everything life defines the color of the sky the spectrum of the rainbow and the shinning sunlight over the head .
living is just not got it enough to live a life it has to be its beauty its fulfillment and the most important is satisfaction.
one who is not satisfied just watch this video you will definitely say that you just don't want to live but you want to live like a legend a legend life.


live life to the fullest 
never miss the chance 
explore the dreams to its greatest
never give a chance!!!

Wednesday, June 6, 2018

Veerana

वीरानियाँ 

वीराने  में ज़िन्दगी की  क्या एहमियत  होती है 

आज पता चला मुझे | 

अँधेरे में रौशनी की क्या एहमियत होती है 

आज पता चला मुझे | 

घनी काली रात के बाद ,

सुनहरी सुबह की किरण क्या होती है 

आज पता चला मुझे | 

सूखे पत्ते पर एक ओस की बूंद  का  असर क्या होता है 

आज पता चला मुझे | 

झूठ की तस्वीर पर 

एक सच का आइना  दिखाना  क्या होता है 

आज पता चला मुझे  | 








वीरानियाँ -सुकृती राय | 

fast and furious

lambi ho bhale hi per chhoti naa ho!!!!

ajeeb lagta hai na aajkal ke logon ko yeh suanana ki kya karega ya kya karegi apni zindagi mein 
itna kuch ho gaya 12th mein itne kam marks aaye ya fail ho gai infact ajeeb hi nahi bahaut bura bhi lagta hai ki aise kaise koi keh sakta hai lekin ye sach bhi toh hota hai kya karega insaan jab vo fail ho jaye ???questions hi questions hoti hai mind mein ki ab to life mein kuch nahi kar sakte ab to hamara jina thik nahi ab hum kuch bhi nahi hain.
pata nahi kyun aisa log samajhte hain ki zindagi agar lambi ho to zyada jina padta hai or bahaut badi jeet ek hi saath mein haasil karni padegi.
aisa kaun se kitab mein likha hai ki agar zindagi lambi hai to badi bhi honi chahiye!!
hamari zindagi mein chahe jo kuch bhi ho failure aaye success aaye chahe jo bhi ho hamein sirf ek purpose dhundhna chahiye ki aakhir hamein apni zindagi kaisi banani hai??
lambi hai to use aur lambi banani hai yaa lambi bhale hi ho use chhoti kabhi naa banayein.
life ek baar milti hai yahi jina hai aur yahi marna  hai jo karna hai yahi karna hai aur haa apni life mein ek purpose ka hona bahaut zaruri hai.
life mein log goal toh set kar lete hain per goal ka kya hai voh to kabhi achieve hoga aur kabhi nahi 
aur jiski vajah se hamein dukh bhi utna hi hoga jitni ki hamnein mehnat ki hoti hai uss goal ko achieve karne ke liye .
but,but here comes the truth of the life that lives goal may be achieved or may not be achieved but the PURPOSE remains as it is it never changes nor it gets destroy or get winning or losing award.
it only goes with the flow with determination and dedication it only gets its own reward its own achievement and that is its own SELF FULFILLMENT.

life teaches everything

zindagi sab kuch sikha deti hai 


life hamein har roz ek naya challenge deti hai usse jujhne ke liye or use solve karne ke liye yeh ek aisa challenge hota hai jo ek insaan ki life and death ka saval khada kar deti hai 
hamein lagta hai ki yeh kya ho raha hai aisa kyun ho raha hai aisa mere hi saath kyun ho raha hai.
life mujhse itni khafa kyun hai kyun har baar yeh hamein aisa kuch karne per majboor karti hai ki ham chaah kar bhi kuch nahi kar sakte.
per shayad hamnein life ko zindagi ko kareeb se kabhi samajhne ki koshish hi nahi ki bs use hamesha apni pareshaaniyon ka apni mushkilon ka ek zariya samjhte rahe.lekin aisa toh nahi hai na life har kadam per hamein mushkilon ka samna iss liye karvaati hai kyunki vo chahti hai ki hum apni mushkilein or apni pareshaniyon ko khudse suljhane ki koshish karein or jab nahi ho pata hai tab zindagi hamara haath pakad kar hamara saath deti hai ki nahi tu akeli nahi hai main hun hamesha tere saath HAMESHA and FOREVER.



short for the life

zindagi

zindagi mein aksar hamein aise decisions lene padte hain jo hamne kabhi socha nahi hota hai hum karna kuch aur chahte hain or zindagi kuch aur karana chahti hai jab bhi hamein lagta hai ki hum bahaut hi kareeb hain apni manzil ke tabhi kuch aisa hota hai jiski vajah se humein uss mauke ko gavana padta hai ya yun kaha jaye ki uss sapne ko chhodna padta hai jo itne samay se humnein dekhe hote hain kyuki uske pure hone ki umeed khatm hone si nazar aati hai.
aur samay humein ek aise mod per laake khada kar deti hai jaha se aage badhna or aage kuch naya karna or uske baare sochna mushkil hota hai.
aur tab kuch samajh nahi aata hai.

bhav

भाव  कम नहीं है पर पूरा भी नहीं  आधा अगर है तो पूरा  नहीं  हम है पुजारी भाव के  अंजना कहे की यही मोल दाव  के  सुहानी सी ज़िन्दग...