ये बसंत
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
कभी बदले नसीबा सभी के
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
जब अँधेरा छाये जीवन में
तभी सूरज की रौशनी बिखेरे उजाला कर के जाता है
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
सभी को खुश कर जाता है
नयी हो या पुरानी हर चीज़ हमेशा मन में नया सा भाता है
रोज़ रोज़ तकिय पे एक चिट्ठी मिल जाता है
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
हर रो एक नया सपना आखों के तले दे जाता है
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
जब गर्मी देती है तिलमिलाहट सी नमी
तब एक फुहार सा नशा चढ़ जाता है
ये क्या होता है जब नन्ही -नन्ही चिड़िया रोज़ मुझे सुनाती है
जब एक नया राग बनाती है
ये सब कुछ लगता है अपना अपना सा
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है
हर एक को खुशियां दे जाता है
ये बसंत का मौसम भी कैसा मौसम है |
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