औरत (तेरा यही स्वरूप)
कैसा लगता है ना जब कोई एक औरत को अलग नज़रिये से देखता है | पता नहीं कैसे उनका मन गवारा करता है इसके लिए ,कुछ अलग ही सोच बना लेते हैं ऐसे लोग जो औरत को सिर्फ एक चीज़ समझते हैं ,लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता की औरत का वही एक सवरूप नहीं है जो वो देखते हैं जो की सिर्फ एक मर्द के लिए होती है उसका वजूद ,उसकी पहचान इनसब से कही ज्यादा ऊपर होता है ,पर शायद उन लोगों को समझने में ही भूल रही है जो एक औरत को कभी समझ ही नहीं पाए |
ऐसी ही एक कहानी है दो औरतों की जिनकी ज़िन्दगी इसी तरह दो राहों की तरह है |
ये कहानी है उस औरत की जिसने कभी एक अच्छा परिवार और सुघर पति की कामना की थी जिसने ये कभी नहीं सोचा था की जो वो चाह रही है वैसा शायद नहीं हो उसके साथ क्यूंकि वो एक भोली-भाली शांत स्वभाव की एकदम शुशील लड़की थी कोई नहीं कह सकता था की उसका चरित्र लांछनवाला है कोई भी अगर उसके बारे कुछ अलग सोचता भी था तो यकीं करना मुमकिन नहीं होता था | बस फिर क्या वही हुआ जो हर एक १८ साल की लड़की के साथ होता है उसकी शादी करवा दी गई एक ऐसे इंसान से जो बाहर से दीखता तो था एकदम शरीफ ,एक नेक इंसान पर था अंदर से शैतान पर इसकी खबर उसे न थी वो तो उससे प्यार करने लगी थी उसे अपना सब कुछ मानने लगी थी दिन बीतते गए और ऐसे करते -करते ९ साल बीत गए अब तक तो उसे पता चल गया की उसने जिस वर की कामना की थी वो वैसा नहीं था बल्कि उसके विपरीत था | उसने उसके दिए हर ज़ुल्म सहे पर फिर भी कुछ नहीं कहती थी कभी उसके खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाई कभी उसके ऊपर ऊँगली नहीं उठाई बस अपना कर्त्तव्य समझ के निभाते गयी | एक दिन ऐसा आया उसके जीवन में की दिल देहल जाये अगर सुनाने लगे तो | वो थी एक रात जब उसके पति ने उसका सौदा कर दिया एक ऐसे ठेकेदार को जो उसका बिज़नेस में बहुत ज्यादा पैसा लगा रहा था और उसके लालच में आकर पैसा कमाने के चक्कर में उसने अपनी ही पत्नी का सौदा कर दिया | इतना ही नहीं उसके साथ इतना बुरा किया की उसके गर्भ में पलती एक नन्ही जान को भी नहीं छोड़ा | जब उसे पता चला की उसकी पत्नी माँ बनाने वाली है तो उसने उसे प्रताड़ित किया उसे वो ज़ख्म दिए जिससे वो जीवन भर खुद पर या किसी और पर विश्वास नहीं कर सकती थी, पर कहते हैं ना की ऊपरवाला उतना ही बुरा किसी के साथ करता है जो जितना सहन कर सकता है | ये थी उसकी कहानी जो डर ,दशहत ,और एक हिंसा की शिकार थी एक कमज़ोर औरत की |
पर हर डर ,हर हिंसा का हिसाब सब को चुकाना पड़ता है उस आदमी को भी चुकाना पड़ा | जिस औरत के साथ उसने ये सब किया था वही औरत एक चंडी का रूप बदल कर आयी और उसने उस आदमी का वही हर्ष किया जो उसने उसका और उसके नन्हे से बच्चे के साथ किया था | उसने उसे ख़त्म कर दिया और वो जेल चली गई जेल जाने के बाद ६ महीने बाद उसने एक नन्हे से बच्चे को जन्म दिया ये बच्चा उसके निर्दयी पति की निशानी ज़रूर थी पर उसने कभी उसका साया भी उसपर पड़ने नहीं दिया | उसने उसे जेल में ही पला और देखते-देखते २५ साल गुज़र गए और उसके अच्छे चाल चलन के नाते उसकी रिहाई कर दी गई जब वो वापिस आयी तो उसने देखा की उसकी बिटिया अब एक बड़ी अफसर बन गयी है | पर वही हुआ जिसका उसे सब से ज़ादा अफ़सोस था उसकी बेटी को सब नीची निगाह से देखने लगे और उसे एक खुनी की बेटी कहने लगे | हालांकि वो अपने पिता के बारे में जानती थी इसीलिए उन लोगों की बातों का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था और उसने ऐसे कई औरतों के लिए इन्साफ किया है और खुद के लिए लड़ने की एक संस्था भी खोली है जहा मजबूर औरत अपनी कहानी के पन्नो को बदल सके और उसपर एक नयी सिहाई की कलम चला सकें |
बस यही थी उस औरत की कहानी | पर ये सिर्फ उस औरत की कहानी नहीं है बल्कि ये उन सभी की कहानी है जो अपने आपको कमज़ोर समझने की भूल बैठती हैं और ऐसे हिंसा की शिकार होती हैं |
तो रुकना नहीं है और कमज़ोर तो बिलकुल भी नहीं बनाना है बस खड़े होना है और अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी |
औरत तेरी यही कहानी
किसी को नहीं है सुनानी
अब है बारी अपनी
कर चढ़ाई खुदकी
और लड़ले लड़ाई खुदकी
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