प्यार
प्यार क्या है ????क्या पता जवाब तो मिलेगा हर बार हर किसी से प्यार की परिभाषा असल में कोई नहीं जानता क्या है ये प्यार किसे कहते हैं प्यार ,प्यार असल में होता भी है या नहीं इसका जवाब हर कोई अपने अपने सहूलियत के हिसाब से देता है कोई कहता है प्यार एक दूसरे के लिए होता है ,कोई कहता है प्यार बस एक ऊपरी ऊपरी दिखावा है ,तो कोई कहता है की प्यार क्या है जब कोई एक इंसान के लिए कुछ अलग सा महसूस करने लगता है उसे प्यार केहेते हैं | पर क्या ये सही है क्या इन सब को प्यार कहते हैं | पर मेरे लिए प्यार इन सब से ऊपर है मेरे लिए प्यार वो नहीं जो लोगों को दिखा के किया जाए,प्यार वो भी नहीं जो एक इंसान से हो ,प्यार का तो सही मतलब या यूँ कहूं की प्यार का कोई मतलब ही नहीं है अगर कोई प्यार करता है तो उसे ये ज़रूर मालूम होता है की प्यार कुछ न कुछ बदले में देगा ही देगा ,पर ये कहा लिखा है की प्यार बदले प्यार ही मिलता है और अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो वो भी आपसे प्यार करे ,प्यार में कोई शर्त नहीं होती और नाही प्यार सोच समझ के किया जाता है | प्यार तो बस हो जाता है | कब ,कहाँ ,कैसे और किस्से कोई नहीं जानता और नाही पायेगा |
मेरे पापा कहते हैं प्यार वो नहीं जो दुनिया में हम देखते हैं की एक लड़का और एक लड़की हाथों में हाथ डाले घूम रहे हैं एक दूसरे को सिर्फ देख लिया तो उसे प्यार समझने लगते हैं प्यार की परिभाषा इन सब से ऊपर है | पापा कहते हैं की प्यार एक दूसरे लिए कुर्बान होना है ,प्यार एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुज़रना है ,प्यार सिर्फ एक बंधन नहीं है बल्कि प्यार में कोई बंधन ही नहीं होता ,प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच में नहीं होता है प्यार वो है जो एक माँ अपने नन्हें शिशु से करती है जब से वह उसकी गर्भ में आता है ,प्यार माँ बेटे के बीच होता ,प्यार पिता और बेटी के बीच होता है ,प्यार भाई बेहेन का होता है ,प्यार पति पत्नी के बीच होता है ,और इनसब से ऊँचा जो होता है वो है ईश्वर हमारा प्यार |
हम जब पीरा करते हैं या जब हमें प्यार होता है तब किसी के लिए भी कोई दूर भावना नहीं होती है
जब हम प्यार में होते हैं तब हमें ऐसा लगता है की सब कुछ अच्छा है सब कुछ अच्छा होगा
लेकिन ये गलत है ना की अगर हमें किसी से प्यार करें तो सब अच्छा ही हो बुरा भी तो हो सकता है
लेकिन हां अगर प्यार है सच्चा तो हर मुश्किल हर इम्तिहान से हम गुज़रने को तैयार होते हैं हमें हर मुश्किल का हल मिल जाता है | इसमें सब से ज़रूरी बात ये आती है की क्या हर कोई प्यार कर सकता है तो इसका सीधा सा जवाब है की हां हर कोई प्यार कर सकता है बशर्ते की वो खुद से बहुत प्यार करता हो अगर कोई अपने आप से प्यार कर सकता है तो वो किसी को भी प्यार कर सकता है उसे प्यार की खोज में भटकना नहीं पड़ता है क्यूँ की वो खुद प्यार से भरा रहता है और किसी को भी प्यार भर पुर दे सकता है ऐसे इंसान जो खुद से प्यार करते हैं वो प्यार बाटने के भूखे होते हैं प्यार पाने के नहीं
सच्चा प्यार हर किसी को एक न एक बार ज़िन्दगी में होता है |
पर इसका मतलब ये नहीं की वो हमेशा हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा प्यार का दूसरा अर्थ है त्याग इतिहास गवाह है जिन्हों ने भी प्यार वो कभी एक बंधन में नहीं बंध सके बल्कि वे अमर हो गए क्यूंकि उनका प्यार पूरी शिद्दत से था सच्चा प्यार था उनका अगर प्यार है तो उसे कहना चाहिए ,ना की उसके साथ रहने के लिए कहना चाहिए |
प्यार का कोई ओर नहीं और उसका कोई तोड़ नहीं |
फूलों की तरह मेहकना सीखा
भवरे की तरह मंडराना सीखा
जुगनू की तरह चमकना सीखा
तारों की तरह टिमटिमाना सीखा
सीखा बहुत कुछ हमनें
पर सिख न पाए एक चीज़ हर कोई डरता करने से
वो है प्यार
वो है प्यार |
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